पानी पिने और रखने हेतु उपयुक्त बर्तन !

                     जल जीवन है तो जाने कैसे है ?

तापमान नियंत्रण रक्त संचार,मल-मूत्र निष्कासन, पाचन,चयापचय,अवशोषण, शरीर नियंत्रण आदि में सहायक है। जल की प्राप्ति प्रोटीन, कार्बोज, वसा हरी सब्जियाँ, रस, फल व अन्य पेय पदार्थों !
    अपच, उल्टी, दस्त, मूर्छा, प्यास व अन्य रोग  जल की कमी से प्रकट हो सकते हैं। बाजारू डिब्बा बंद पानी की प्लास्टिक बोतलों या नवीन तकनीक के साथ बने आर. ओ., वाटरप्यूरीफाई आदि मशीनरी के इस्तेमाल के बजाए पुराने परम्परागत बर्तनों का अधिकतम उपयोग अति उत्तम है।प्रकृति के इस अमूल्य उपहार को धारण किए बिना स्वस्थ जीवन के लिए सोचा भी नहीं जा सकता है।
  परम्परागत मिट्टी के बर्तन भी पूर्णतः उपयुक्त है। प्राचीन काल से सोने, चांदी, कांसे, तांबे, पीतल व लोहा के बर्तनों में भोजन की उपयोगिता का उल्लेख मिलता रहा है। इनमें भोज्य पदार्थों को जहरीला बनाने वाले विषाणुओं को मारने की क्षमता होती है।फ्रीज, बर्फ व सोडा पानी के सेवन से सदैव बचें
   सोने का बर्तन 
 
सोने की प्रकृति गर्म है। सोने के पात्र में रखा पानी पीनेभोजन पकाने व करने से शरीर के अंग आंतरिक तथा बाहरी रूप से मजबूत, ताकतवर व कठोर बनते है। नेत्र ज्योति भी बढ़ती है।
  कांसा के बर्तन
 याददाश्त तेज करने, भूख बढ़ाने, रक्त पित्त शांत करने तथा रक्त शुद्धि में सहायक है खट्टे पदार्थों का इनमें प्रयोग वर्जित है क्योंकि खट्टे पदार्थ इनमें विषजन्य हो जाते है।
सावधानी बरते !
   तांबे के बर्तन
में रखे पानी से
 हिमोग्लोबिन की कमी, बाल, पेट तथा मासिक धर्म संबंधी समस्याओं के लिए पीने के पानी के लिए तांबे के बर्तनों का उपयोग अच्छा रहता हैबर्तन को लकड़ी के पट्टे पर रखा जाना चाहिए। रात्रि को चार-पाँच घंटे पानी भरकर रखने पर तांबे के गुण पानी में समाहित हो जाते है। यह शरीर से दूषित पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल फैंकता है।तांबे के बर्तन दूध का प्रयोग तांबे के बर्तनों में न करें।
     पीतल के बर्तन
 कफ, वात व कृमि रोग दूर करता है।
  एल्म्युनियम के बर्तन 
 का उपयोग नुकसान ही नुकसान करता है।
आयरन व कैल्शियम सोंख लेता है जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती है, मानसिक और शारीरिक बीमारियां पनप जाती है। गुर्दे, स्नायु तंत्र, टीबी, अस्थमा, दमा, वात तथा मधुमेह के लिए घातक है। 
 स्टील व काँच के बर्तन सामान्य है जिनसे कोई लाभ अथवा हानि नहीं होती है।
    थोड़ा सा भी प्यासा न रहें। शरीर की आंतरिक सफाई पानी से भलीं प्रकार हो जाती है। अनुपयोगी तथा विषजन्य पदार्थों को शरीर से आसानी से पानी के द्वारा ही बाहर धकेला जा सकता है और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है।

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