उड़ान की जरूरत है।


खंड खंड हर संघ ,

संघ है एक जंग।

जंग से जागीर तक,

सफर से जमीर तक।

सेवा से सफर कर,

समाज मे असर कर।

जरूरत हो जरूर चल,

चल राही सफर कर।

धूप छाव आते रहेंगे,

दर्द भी जाते रहे गए।

तेरा ढंग अभिन्न अंग बने,

सपना जो भी हो साकार बने।

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