जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ हैं ! जो दो अणु से बना है , ( हाइड्रोजन एव ऑक्सीजन )यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है।पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है! पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है।जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है! जल में कई पदार्थों को घोला जा सकता है जो अलग अलग गुण गंध और स्वाद प्रदान करता है वास्तव में, मानव और अन्य जानवरों समय के साथ एक दृष्टि विकसित हो गयी है जिसके माध्यम से वो जल के पीने को योग्यता का मूल्यांकन करने में सक्षम होते हैं और वह बहुत नमकीन या सड़ा हुआ जल नहीं पीते हैं।ठंडे जल में रोगाणुओं की संख्या काफी कम होने की संभावना होती है। शुद्ध पानी H2O स्वाद में फीका होता है जबकि सोते (झरने) के पानी या लवणित जल (मिनरल वाटर) का स्वाद इनमे मिले खनिज लवणों के कारण होता है। सोते (झरने) के पानी या लवणित जल की गुणवत्ता से अभिप्राय इनमे विषैले तत्वों, प्रदूषकों और रोगाणुओं की अनुपस्थिति से होता है।
खंड खंड हर संघ , संघ है एक जंग। जंग से जागीर तक, सफर से जमीर तक। सेवा से सफर कर, समाज मे असर कर। जरूरत हो जरूर चल, चल राही सफर कर। धूप छाव आते रहेंगे, दर्द भी जाते रहे गए। तेरा ढंग अभिन्न अंग बने, सपना जो भी हो साकार बने।
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